तूने देखा था सवेरा
रौशनी, आफताब
इन्द्रधनुष के सात रंग
राहगुज़र पर उग आया सब्ज़ पौधा
राहगुज़र पर उग आया सब्ज़ पौधा
भौरों का गुंजन,
कोयल के मधुर गीत,
फूलों की सरगोशी,
झरनों का संगीत
रात का वीरान आंगन
अनदेखा, अंजाना
मुर्दा औरत की सर्द गोद
डूबता सूरज,
दम तोडती लौ,
दूर गुमनाम पहाडियों में गूंजती खामोशी
दूर गुमनाम पहाडियों में गूंजती खामोशी
तूने देखा था सहर
ठहरी हुई खामोश रात नहीं
दिन ढल जाने के लिए
रात एक मुख्तसर लफ्ज़ है('हंस', अगस्त ' 2011)
No comments:
Post a Comment