खुशबू
उस जिस्म की
धीमी– धीमी,
उतरती रही
रूह में
धीरे – धीरे,
तमाम उम्र
आंच
उस क़ुर्बत की
मधिम– मधिम,
उठती रही
कायनात में
हौले – हौले,
ता – क़्यामत
उस जिस्म की
धीमी– धीमी,
उतरती रही
रूह में
धीरे – धीरे,
तमाम उम्र
आंच
उस क़ुर्बत की
मधिम– मधिम,
उठती रही
कायनात में
हौले – हौले,
ता – क़्यामत
वो रौशन रातें
मिलन की,
गुज़र गईं
कुछ इस तरह
कि जैसे,
झपकी हो पलकें
बस अभी अभी
मिलन की,
गुज़र गईं
कुछ इस तरह
कि जैसे,
झपकी हो पलकें
बस अभी अभी
हज़ार यादें
क़तार बान्धे
तुम्हारे आगे
खडी हैं कब से
क़तार बान्धे
तुम्हारे आगे
खडी हैं कब से
कुछ हक़ जता
के
कुछ इल्तिजा से
वो कर रहीं हैं
सवाल तुम से
कि आज फिर से
बस अपनी खातिर
करोगे दोस्ती मुझसे ?
कुछ इल्तिजा से
वो कर रहीं हैं
सवाल तुम से
कि आज फिर से
बस अपनी खातिर
करोगे दोस्ती मुझसे ?
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